Sep 19, 2009

समीर जी की उड़न तश्तरी से...(साभार )

इसे "उड़न तश्तरी" से लिया गया है :View POST




बदला बहुत जमाना बेटा
घर की लाज बचाना बेटा.

नर नारी सब एक बराबर
बीबी लड़की लाना बेटा.

होटल मंहगे बहुत हुए हैं
खाना घर पर खाना बेटा.

देर लगे गर घर आने में,
मिस्ड कॉल भिजवाना बेटा.

मिलता कर्जा, लेना उतना
जितना तुम भर पाना बेटा.

क्या पाओगे पढ़ लिख कर तुम
नेता तुम बन जाना बेटा.

खेल कूद में नाम कमा कर
फिल्में भी अजमाना बेटा.

बूढ़े अम्मा बाबा से भी
मिलने को तुम आना बेटा.

पोता कितना बड़ा हुआ है
फोटो तो भिजवाना बेटा.

बच्चे तेरे इंग्लिश बोलें
हिन्दी भी सिखलाना बेटा.

कुछ सालों में तुम बच्चों को
यही मेल भिजवाना बेटा.

-समीर लाल ’समीर’


Apr 19, 2009

वाह देवेश जी!!

तुम खट्टी होगी...
पर सच्ची होगी...
अभी छौंक रही होगी हरी चिरी मिर्चें...
खट्टे करौंदों के साथ...
या कच्ची आमी के...
या नींबू के...
या ना भी शायद...

नाप रही होगी अपना कंधा...
बाबू जी के कंधे से...
या भाई से...
और एड़ियों के बल खड़ी तुम्हारी बेईमानी
बड़ा रही होगी तुम्हारे पिता की चिंता...

तुम भी बतियाती होगी छत पर चढ़ चढ़
अपने किसी प्यारे से...
और रात में कर लेती होगी फोन साइलेंट...
कि मैसेज की कोई आवाज पता न चल जाए किसी को...
तुम्हें भी है ना...
ना सोने की आदत...
मेरी तरह...
या शायद तुम सोती होगी छककर... बिना मुश्किल के...
जब आना...
मुझे भी सुलाना...

गणित से डरती होगी ना तुम...
जैसे मैं अंग्रेजी से...
या नहीं भी शायद...
तुम लड़ती होगी अपनी मम्मी से...
पापा-भैया से भी,कभी कभी...
मेरी तरह...
पर तुम्हें आता होगा मनाना...
मुझे नहीं आता...
बताना...
जब आना...

तुम खट्टी होगी...
चोरी से फ्रिज से निकालकर
मीठा खाने में तुम्हें भी मजा आता होगा ना
तुम भी बिस्किट को पानी में डुबोकर खाती होगी...
जैसे मैं...
या शायद तुम्हें आता होगा सलीका खाने का...
मुझे भी सिखाना...
जब आना...

देवेश वशिष्ठ 'खबरी'
9953717705

Apr 1, 2009

engeneering dude!!!

ना back की परवाह , ना subjects सारे clear हैं
यारों हम engineer हैं


ना job की tension ,ना future का कोई fear हैं
यारों हम engineer हैं

हाथ में किताबों की जगह , table पर beer हैं
यारों हम engineer हैं

c++,java नहीं chating अपना career हैं
यारों हम engineer हैं

late nite studies नहीं ,late night premier हैं
यारों हम engineer हैं

यहाँ कोई einstein नहीं,यहाँ पर सब shakespeer हैं
यारों हम engineer हैं


हम रहे भले चंगे ,चाहे देश की हालत severe हैं
यारों हम engineer हैं

Feb 16, 2009

उड़न तश्तरी से ....

प्रेम दिवस का भूत देखिये, सबका मन भँवरा बोराय
हम बैठे हैं पांव पसारे, दोनों घुटनन रहे पिराये.

हम तो ठहरे बुढ पुरनिया, घर में भांग रहे घुटवाय
दूध जलेबी छान के दिन में, हुए टनाटन हम तो भाय.

सबकी बीबी फेयर लवली, माँग रही है खूब इठलाय
हमरी बीबी बाम रगड़ती, कहती है कि मर गये हाय.

नये लोग हैं नया गीत है, इलु पर दये कमर मटकाय,
हम तो बैठे तिलक लगा कर, आरत राम लला की गाय.

देखो उनकी कैसी मस्ती, पिकनिक पर खण्डाला जाय
बीबी हमरी धड़कन सुनके, ब्लड प्रेशर की दवा खिलाय.

Jan 1, 2009

क्यू सता रही हो यार तुम..

आज शाम फिर वही गुज़ारी
जहा मैं किताब पढ़ता रहता
और तुम्हारी गोद में
सर मेरा रखा होता था..

तुम तिनका डालकर कानो
में मेरे सताती थी
मेरे हाथ में तुम्हारा
हाथ रखा होता था...

दोनो देखते रहते आसमान
से गिरते हुए सूरज को
अंधेरा जल भुन कर माथे
पर आ चुका होता था

उठकर चल देते थे हम
हाथो में हाथ लिए
तुम्हारा सर मेरे
काँधे पर होता था

हर बार पार्किंग का टोकन
खो देता था जेब से अपनी
और तुम्हारे पर्स में
ना जाने कहा से वो होता था

गरम गरम दूध जलेबी
गेन्दामल हलवाई की
दोनो मिट्टी के सिकोरो
में एक साथ खाते थे हम

ख़ाली सड़को पे बातें
करते हुए चलते रहते
एक दूजे का हाथ थामे
भूल जाते सब ग़म

चूड़ीवाले को देखते ही
तुम्हारी ज़िद शुरू हो जाती
और मुआ चूडी वाला भी
तुम्हे देखते ही वहा आ जाता था

तुम भागकर सड़क पार करती थी
ओर मैं तुम पर चिल्लाता था..
घबरा कर तुम्हारे पास आता
क्या यार नीना साँसे निकाल देती हो!

इक रोज़ फिर ऐसे ही तुम्हारा
सड़क को पार करना हुआ था
मैं तब दूसरे छोर पे था
तबसे तुम उस ओर चली गयी

आज शाम फिर वही गुज़ारी
सुखी टहनियो के नीचे..
मगर मेरे हाथो में कोई
किताब नही होती है..

तिनके बिखरे हुए है
अब भी यहाँ वहाँ..
हवाएं आकर इन्हे
उड़ा ले जाती है..

अकेला चलता हू मेरे
काँधे झुके से है थोड़े...
सामने से साथ आता हुआ
कोई जोड़ा दिख जाता है..

तुमसे पार्किंग का कूपन
माँगने से पहले ही
जेब में पार्किंग का
कूपन मिल जाता है

इक रोज़ चूड़ी वाले ने पूछा था बस!
अब वो भी नही आता है
तुम्हारे लिए चूड़िया ख़रीद लू
पर तुम अब ज़िद ही नही करती

हलवाई के यहा जाता हू
भीड़ में शायद वो
देख नही पाता..
दो सिकोरे मेरी ओर बढ़ाता है

कब तक तुम्हे साथ लेकर
चलता रहूँगा मैं..
मुझसे अब ये नही होता है
होंठो को मुस्कुराहट देने
वाला दिल अकेले में बहुत रोता है...

http://kushkikalam.blogspot.com/ 
से उधृत